महाशिवरात्रि 2025 में कब और कैसे मनाएं

महाशिवरात्रि 2025 में कब और कैसे मनाएं

महाशिवरात्रि 2025

  • कब और शुभ महूर्त 
  • पौराणिक कहानी और कथाएँ
  • पूजन सामग्री, 
  • महाशिवरात्रि व्रत 
  • कावड़ का महत्त्व 
  • कोनसे रंग के कपड़े पहने 
  • जल चढ़ाते समय मंत्र और पूजा की विधी 
  • महादेव का प्रिय फल और पुष्प
  • महादेव के गुरु कौन 

हिन्दू कलेंडर के अनुसार फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को मनाया जाता है। जो वर्ष 2025 में 26 फ़रवरी, बुधवार को है। यह त्यौहार भगवान शिव को समर्पित है। भगवान शिव के दिव्य अवतार का मंगल सूचक पर्व है। इस दिन शिव भक्त व्रत रखते हैं। 

महाशिवरात्रि से जुडी पौराणिक :- 

इससे जुडी दो पौराणिक कथाएँ प्रचलित है :-

पहली :- महाशिवरात्रि के दिन महादेव पहली बार ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। शिवपुराण के अनुसार – उस रात 12 ज्योतिर्लिंग प्रकट हुए थे। जिनमे सबसे प्रमुख काशी के श्री विश्वनाथजी ज्योतिर्लिंग है। जो कि वाराणसी (उत्तर प्रदेश) में स्थित है। गंगा तट पर स्थित इस शिवलिंग के दर्शन करना अत्यन्त शुभ माना है। 

दूसरी :- शिव पुराण के अनुसार :- इस दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती का विवाह हुआ था। और देवी लक्ष्मी, सरस्वती, इंद्राणी, गायत्री, सावित्रि और माता पार्वती ने शिवरात्रि का व्रत किया और शिव कृपा का आनंद फल पाया। इसलिए शिवभक्त महाशिवरात्रि का व्रत भी रखते हैं। और भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं। 

महाशिवरात्रि पूजन सामग्री :-

महाशिवरात्रि पर शिव पूजन के लिए महत्वपूर्ण सामग्री जिसमे – पंचामृत, जो की पंच तत्व को मिलकर बनाया जाता है। जिसमे दूध, दही, गंगाजल, घी और शहद सम्मलित है। इन सभी को एक ही पात्र में मिलकर पंचामृत तैयार किया जाता है। इसके आलावा शिव पूजा में जल, गाय का दूध, फल-फूल, चंदन, रोली, मोली (‘कलावा‘), कपूर, घी का दीपक, तुलसी के पत्ते, और बेलपत्र आदि। भोग सामग्री – कंद-मूल फल, भांग, धतूरा, ठंडाई, बेर, गन्ना, आदि सम्मलित करे।  

कैसे करे महाशिवरात्रि का व्रत :-

प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें। उसके बाद मुहुर्त के अनुसार शिव पूजन करे। पूजन करते समय 108 बार ॐ नमः शिवाय मंत्र का जप करे। पूजन करने के बाद आप कुछ फलाहार कर ले। अपनी बाकि दिन चर्या शुरू करे। शाम से समय व्रत सागार करने से पहले शिव जी को व गाय को भोग अवश्य अर्पित करे। और शाम की पूजा करके व्रत सम्पन्न करे। 

शिवरात्रि पर कोनसे रंग के कपडे पहने :- 

महाशिवरात्रि का पर्व एक हिन्दू पर्व है। जिस पर छोटी से छोटी बातो का ध्यान रखा जाता है। जिसमे कपड़ो को लेकर भी विशेषकर ध्यान रखा जाता है। महाशिवरात्रि पर पहने जाने वाले कपडो का रंग जैसे की नीला, पीला, लाल, नारंगी, सफेद, गुलाबी इत्यादि।  जो कि सही है। लेकिन कुछ ऐसे रंग के कपडे भी है जिन्हे पहनना अशुभ माना गया है। जो नकारात्मक ऊर्जा को उत्पन्न करते है। जिसमे काले रंग के कपडे व हरे रंग के कपडे को अशुभ माना जाता है।   

 महाशिवरात्रि व्रत कथाए :-


शिव पुराण की कथा के अनुसार, एक गांव में एक शिकारी था। जो जंगल में जीव जंतुओं का शिकार करके आपने घर परिवार का पालन पोषण करता था। कुछ दिनों से शिकार न मिलने पर और घर की जरूरतों को पूरा करने की वजह से वह गांव के एक साहूकार का कर्जदार हो गया। वह काफी प्रयासों के बाद भी कर्ज नहीं चुका पा रहा था। एक दिन क्रोधित होकर साहूकार ने उसे शिवमठ में बंदी बना लिया और उस दिन शिवरात्रि थी। बंदी बने शिकारी ने शिवरात्रि कथा को ध्यान से सुना और संध्या के समय साहूकार के समक्ष लाया गया था। शिकारी ने साहूकार से एक वचन लिया और बोला कि कुछ समय में आपका सारा ​कर्ज चुका दूगा। शिकारी कि ये बात मानकर साहूकार ने उसे छोड़ दिया और शिकारी शिकार की तलाश में जंगल की ओर चला गया। वह एक नदी के किनारे पहुंच गया।

वह बेलपत्र के पेड़ पर बैठ गया था। बेलपत्र के पेड़ के नीचे शिवलिंग था। शिकारी नहीं जनता था। शिकारी बेलपत्र के पेड की टहनियों से बेलपत्र तोड़-तोड़कर नीचे फेंकता गया और वह बेलपत्र उस शिवलिंग पर गिरते गए। शिकारी भूख प्यास व्याकुल था। अनजाने में उससे शिव पूजा हो गई। दोपहर तक वह भूखा ही रहा। रात में एक गर्भवती हिरण नदी में पानी पीने आई। तभी शिकारी उसे मारने के लिए धनुष-बाण तैयार किया। उस हिरण ने कहा कि वह बच्चे को जन्म देने वाली है। तुम एक साथ दो हत्या न करो। मैं बच्चे को जन्म देकर तुम्हारे पास आ जाऊंगी। तब तुम शिकार कर लेना। यह सुनकर शिकारी ने उसे जाने दिया। कुछ समय के बाद एक हिरण आयी तो शिकारी शिकार करना चाहता था। वह हिरण अभी ऋतुमास से आज़ाद हुई थी।

वह अपने पति को खोज रही थी। क्योंकि वह अभी काम से वशीभूत है। हिरण ने कहा की जल्द ही पति से मिलन के बाद शिकार के लिए शिकारी के समक्ष उपस्थित हो जाएगी। शिकारी ने हिरण को छोड़ दिया देर रात एक हिरण बच्चों के साथ तालाब के किनारे आई थी। शिकारी एक साथ हिरण और उसके परिवार को देखकर खुश हुआ। शिकारी उनका शिकार करने के हेतु तैयार था। उसी समय हिरण ने जवाब दिया। कि वह हिरण के बच्चो के पिता को ढूंढ रही हू। जब भी वो जाते है मैं शिकार के लिए आ जाउंगी। इस समय शिकारी को उसका और पुरे परिवार का शिकार करना था। हिरण ने शिकारी को अपने बच्चो को छोड़ने के लिए कहा, तो शिकारी ने हिरण और उसके परिवार को जाने दिया। शिकारी अब बेल के वृक्ष पर बैठकर बेल पत्र तोड़ तोड़ कर शिवलिंग पर फेंक रहा था।

उसी समय एक हिरण आ गया। शिकारी हिरण को मारने चाहता था। ​हिरण ने कहा, मुझ से पहले तीन हिरण और बच्चों को तुमने मार दिया है। तो मुझे भी मार दो, क्योंकि मुझसे उनका ये वियोग सहन नहीं होगा। परन्तु उनको मृत्यु नहीं दी है, तो मुझे जीवन दान दो। मैं अपने बच्चो और पति से मिलने के बाद शिकार के लिए तुम्हारे पास आ जाउंगी। रातभर उपवास, रात्रि जागरण और अनजाने में ​बेलपत्र से शिवलिंग की पूजा के प्रभाव से शिकारी दयालु हो गया। उसने हिरण को भी जाने दिया। उसके मन में भक्ति की भावना प्रकट हो गई और वह पुराने बुरे कर्मों को सोचकर पश्चाताप करने लगा। तभी शिकारी ने देखा कि हिरण का पूरा परिवार उसकी ओर चला आ रहा है।

यह सब देखकर शिकारी और भी करुणामय हो गया था। उसकी आँखों मे आँसू आ गए थे। शिकारी ने यह सब देखकर हिरण के पुरे परिवार को जीवन दान दे दिया और स्वयं हिंसा को त्यागकर भक्ति और दया के रास्ते पर चलने पर चलने लगा। उसी समय शिकारी पर शिव कृपा हुई और उसने साहूकार का कर्ज भी चूका दिया। और उसका परिवार पूर्ण रूप से सम्पन्न होने लगा। और शिकारी पर शिव कृपा होने लगी। 

महाशिवरात्रि पर कावड़ क्यों लायी जाती है ?

ऐसा माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन जो शिव भक्त कावड़ यात्रा जल का अभिषेक शंकर भगवानपर करता है। तो उस भक्त पर देवो के देव महादेव कि कृपा सदैव बनी रहती है, और यह जल सोरों जी, वृंदावन, व हरिद्वार जैसी पावन धरा पर बहने वाली पवित्र नदियों (गंगा , यमुना) से लाया जाता है।    

मंदिर में काले कपडे क्यों नहीं पहनने चाहिए :-

काले रंग को असफलता, दुख और नकारात्मकता का रंग माना जाता है। इसलिए ज्यादातर मौकों पर और मंदिरों में जाते समय लोग इससे बचते हैं। लेकिन शास्त्रो में बताया गया है की प्रत्येक रंग अपना अलग महत्व रखता है। इसलिए काले रंग के कपडे को नकारात्मक ऊर्जा का स्रोत बताया गया है। 

शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय का मंत्र :-

शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय अनेक श्रद्धालु बिना कुछ बोले ही जल चढ़ाकर चले जाते है। शिवलिंग पर जल चढ़ाते वक्त मंत्र उच्चारण भी किया जाता है। शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय एक मंत्र का जाप अवश्य करे। जल चढाते वक्त मंत्र जाप करने से कोई दोष नहीं लगता है। 

  • ॐ पशुपतये नम:।। 
  • ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवा ।। 
  • ॐ इं क्षं मं औं अं।। 
  • ॐ नमः शिवाय।।
  • श्री शिवाय नमस्तुभ्यं।। 

किस दिशा में खड़े होकर शिवलिंग पर चढ़ाएं जल :-

जगन्नाथ गुरु ने बताया है कि शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय सदैव दक्षिण दिशा और पश्चिम दिशा की तरफ खड़े होकर चढ़ाये शिवलिंग पर जल। क्योंकि यदि आप दक्षिण दिशा में खड़े होकर जल चढ़ायेगे तो। वो जल आपके चरणों में नहीं आएगा। और यदि आप पश्चिम दिशा की ओर खड़े होकर जल चढ़ायेगे। तो आप का मुख पूर्व दिशा की ओर होगा जो की भगवान शिव का मुख्य प्रवेश द्वार है।

रात में शिवलिंग पर जल क्यों नहीं चढ़ाना चाहिए :-

शिवलिंग पर कभी भी रात के समय जल नहीं चढ़ाना चाहिए। क्योकि शास्त्रों में बताया गया है, कि रात के समय शिवलिंग का ओजस बल न्यूनतम रहता है। और इस दौरान शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल पत्झड़ ऋतू से समान होता है। जिसका कुछ लाभ नहीं मिलता है।

शिवलिंग पर अर्पित जल का प्रसाद क्यों ?

शिव पुराण के अनुसार – शिवलिंग पर जल चढ़ाने से पुण्य की प्राप्ति होती है। और इस जल को आप प्रसाद के रूप में भी ग्रहण कर सकते हैं। शिव पुराण के 22 वें अध्याय के 18 वें श्लोक में बताया गया है, कि शिवलिंग पर चढ़ा हुआ जल पीने से हमारे शरीर में एक ऊर्जात्मक शक्ति संचलित होती है। शिवलिंग पर चढ़े जल का पान करने से हमारे शरीर को रोगो से लड़ने के लिए शक्ति प्राप्त होती है।  

महादेव का पूजन फल :-

महादेव को फलो मे धतूरे का फल अति प्रिय है। और इसका उपयोग शिव पूजा में करते है। यदि आपके पास शिव जी पर चढ़ाने के लिए धतूरे का फल उपलब्ध नहीं है। तो आप इसके पत्ते भी चढ़ा सकते हैं। 

शिव का प्रिय पुष्प :-

भगवान शिव के प्रिय पुष्पों के बारे में बहुत कम लोग ही जानते है। जिसमे धतूरे का पुष्प, सूखे कमल का पुष्प, पीला कन्नेर व सफेद कन्नेर का पुष्प, कुसुम का पुष्प, आक का पुष्प, और कुश का पुष्प आदि को प्रिय पुष्प हैं।

कौन थे, महादेव के गुरु ?

भगवान शिव के पिता आदि रुद्र भगवान महाकाल ही शिव जी के गुरु थे। उन्ही की प्रेरणा से महादेव ने गुरूमण्डल गुरुकुल की स्थापना की थी।  

नंदी के कान में मनोकामना से पहले क्या कहते हैं :-

एक पौराणिक कथा के अनुसार स्वयं भगवान शंकर ने नंदी को वरदान दिया था। की जो भक्त सच्चे दिल से तुम्हारे कान में अपनी मनोकामना कहेगा। तो उसकी हर मनोकामना पूरी होगी। शास्त्रों में बताया है, की नंदी के कान में कोई भी इच्छा प्रकट करने से पहले ‘ॐ’ शब्द बोलना चाहिए। इसके बाद ही अपनी मनोकामना कहनी चाहिए। 

महादेव कि कृपा पाने के लिए करे इन दिनों व्रत ?

भगवान शिव की अपार कृपा पाने के लिए सावन का महीना, प्रदोष व्रत, सोमवार, मासिक शिवरात्रि और महाशिवरात्रि जैसे दिनों का रखे व्रत। इन दिनों के व्रतों का विशेष महत्व बताया हैं।

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