भारतीय सभ्यता और संस्कृति का इतिहास – History of Indian Civilization and Culture

भूमिका

सभ्यता और संस्कृति दोनों एक दूसरे के समानार्थी शब्द के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। किंतु इसमें भेद रहता है।

सभ्यता का आधार बुनियादी ढांचा, स्थिरता, श्रम विभाजन और सुरक्षा की भावना द्वारा जीवन के एक जटिल रास्ते का वर्णन करना है। सभ्यता समाज को एक प्रगतिशील और सकारात्मक विकास की और इंगित करती है। जिसे हम Civilization कहते है।

संस्कृति व्यक्ति के बौद्धिक स्तर तथा बाह्य जीवन के समन्वय के साथ ही प्रकृति का समन्वय भी हुआ। भारतीय संस्कृति दर्शन, साहित्य और कला के माध्यम से व्यक्त होती रही है।

भारतीय सभ्यता और संस्कृति विश्व की प्राचीनतम धरोहर है। जहाँ विश्व की लगभग सभी संस्कृति समाप्त हो चुकी है। वही भारतीय सभ्यता और संस्कृति अन्य सभ्यताओं के साथ समन्वय के कारण इसका विकास होता गया। भारत अलग अलग वेशभूषा, भाषा, भोजन और रहन सहन होने के कारण ही एक विशाल सभ्यता और संस्कृति वाला देश है। इस ब्लॉक के माध्य्म से हम भारतीय सभ्यता और संस्कृति के इतिहास के बारे में पड़ेंगे।

उद्देश्य

इस ब्लॉक का मुख्य उदेश्य भारतीय सभ्यता और संस्कृति की विशेषताओ से अवगत कराना है। निम्न बिन्दुओ की सहायता से हम भारतीय सभ्यता और संस्कृति के अन्य पहलुओं के बारे मे जानने की कोशिश करेंगे।

  • सामावेशी सभ्यता और संस्‍कृति :– भारतीय सभ्यता और संस्‍कृति जन्म से ही समावेशी रही है। भारतीय संस्कृति ही समावेश के गुण के आधार पर ही आज भारतीय संस्कृति जीवित है। इसी प्रकार की विविधताओं के समावेश के कारण भारतीय संस्कृति विकसित हो रही है।
  • विस्‍तृत स्वरुप :- इसके विस्‍तृत स्वरुप का अंदाजा इसी बात से लगा सकते है। कि इसमे विभन्न काल खण्डो मे विभन्न प्रकार की सभ्यता और संस्कृति से मिलन हुआ है। जिससे इसका स्वरुप विस्तृत है।
  • बहुमुखी विकास :- इसमे रीति रिवाज, साहित्य, धर्म और कला भी संस्कृति के अन्तर्गत ही आते हैं। और सभी को एक सूत्र में बांधने का काम किया है।
  • लचीनापन :- भारतीय संस्‍कृति दुनिया की सबसे पुरनी और सबसे लचीली संस्‍कृति रही है।

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भारतीय वेद

ऋषि मुनियों द्वारा यह ज्ञान सुनाया गया था। इसलिए इसका नाम श्रुति पड़ा। इसी ज्ञान को सुनकर ही ब्रम्हा जी ने वेद तैयार किए थे। वेद भारतीय साहित्य के प्राचीनतम ग्रंथ कहलाते हैं। भगवान श्री विष्णु ने चार महर्षियों अग्नि (ऋग्वेद), वायु (यजुर्वेद), आदित्य (सामवेद), और अंगिरा (अथर्ववेद) को ज्ञान प्रदान किया था।

ब्रम्हा ने वेदो को चार भागों मैं बांटा था। 1. ऋग्वेद 2. यजुर्वेद 3. सामवेद, 4. अथर्ववेद। इन सब वेदों को मंत्रो मे लिखा है।

  1. इन सब वेदो सबसे पुरानी ऋग्वेद है। इसे स्तुति का ज्ञान कहा जाता है। इसमें मंत्रो की संख्या 10552 है। दस अध्याय है। इसमें देवताओं की प्रशंसा में मंत्र लिखे हैं।
  2. यजुर्वेद मे पूजा के ज्ञान के बारे मे कहा गया है। इसमे 40 अध्याय और 1975 मंत्र है। इसमें यज्ञ और अनुष्ठानों के बारे में बताया गया है।
  3. हमे गीतों का ज्ञान सामवेद मे बताया गया हैं। इसमे 6 अध्याय और 1875 मंत्र हैं।
  4. अथर्ववेद को संपूर्ण ज्ञान का भंडार कहा गया है। इसमे 20 अध्याय और 5977 मंत्र हैं। इसमें चिकित्सा, विज्ञान और दर्शन के बारे मे बताया गया है। इस वेद मे विवाह, दैनिक अनुष्ठान और अंत्येष्टि आदि के मंत्रो को शामिल किया गया है।

भारतीय संस्कृति का संरक्षण

आज भारतीय संस्कृति दुनिया की सर्वश्रेष्ठ संस्कृतियो मे से एक है। जो हमारी पहचान के एक अहम हिस्सा है। परन्तु वर्तमान मे पाश्चात्य सभ्यता के प्रभाव से हमारी संस्कृति के अस्त्तिव पर खतरा मंडरा रहा है। इस लिए हमें हमारी संस्कृति का संरक्षण जरुरी है।

  1. भारतीय खानपान :- भारतीय खानपान विश्व प्रसिद है। परन्तु फिर भी भारतीय लोग बर्गर और चाउमीन की तरफ आकर्षित रहते है। हम अपनी परम्परागत थाली भोजन के भूल गए है। हमें अपनी नयी पीढ़ी मे भारतीय भोजन के प्रति सोच को बदलना होगा। भारतीय खानपान भी हमारी संस्कृति का ही एक हिस्सा है।
  2. भारतीय वेशभूषा :- विश्व मे हमारी अलग पहचान हमारी वेशभूषा से ही होती है। हमारी वेशभूषा जैसे साडी और कुर्ता-पैजामा है, परन्तु आज पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से भारतीय अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे है। हमें भारतीय वेशभूषा को ध्यान मे रखकर उसका इस्तेमाल करना चाहिए।
  3. भारतीय भाषा :- आज भारत मे जितनी भाषा बोली जाती है, शयद ही किसी देश मे बोली जाती होगी। परन्तु फिर भी हमें हिंदी बोलने मे शर्म आती है। हम अंग्रेजी को जयादा महत्त्व देते है। परन्तु हमें हिंदी को जरूर इस्तेमाल करना चाहिए।

भारतीय सभ्यता की विशेषताएँ

भारतीय सभ्यता की पहचान ऐतिहासिक, धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परंपराओं से माना जाता है। समाज की मूलभूत नैतिक मूल्यों, आदर्शों, सामाजिक न्याय, संस्कृति आदि को प्रमुख पहचान माना जाता है। भारतीय सभ्यता के शुरुआती समय मे वेदों पर विकसित होकर ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र जैसे वर्गों का निर्माण किया।

भारतीय सभ्यता का महत्वपूर्ण हिस्सा धार्मिकता है। यहां धर्म आधारित पूजा-पाठ, समारोह, धार्मिक स्थलों की परंपराएं और त्योहार होते हैं। मुख्य धर्म मे हिंदू,बौद्ध, सिख, जैन और इस्लाम धर्म है।

भारतीय सभ्यता का महत्व :-

परम्पराएं भारतीय सभ्यता और संस्कृति की आधार है। इनके माध्यम से भारतीय समाज के आदर्श और संरचना का पालन किया जाता है।

  • भारतीय सभ्यता रीति-रिवाज़ और परंपराओं का एक अहम स्थान रहा है।
  • समाज में रीति-रिवाज़ और परंपराओं के माध्यम से समाज में एकता और संगठनशीलत बनी रहती है।
  • भारतीय सभ्यता में परंपराओं और रीति-रिवाज़ को मान्यता मिली है। उनका पालन किया जा रहा है। ताकि समाज अपने आदर्शो, मूल्यों और संगठनशीलता बनी रहे।

भारतीय सभ्यता और संस्कृति का नवीनीकरण

भारतीय सभ्यता नवीनीकरण से सदैव अपने आदर्शों, परंपराओं और मूल्यों को सहेज कर रखती है। भारतीय सभ्यता नवीनीकरण द्वारा प्रौद्योगिकी, शिक्षा, विज्ञान, और सामाजिक बदलाव मे अहम भूमिका निभा रहा है। भारतीय सभ्यता को नवीनीकरण के द्वारा ही भविष्य मे सुद्रढ़ बनाए रखेगी।

Note –

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