मैसूर घूमने का सबसे अच्छा समय और 15 बेहतरीन जगहें

मैसूर शहर शीर्ष पर्यटन स्थलों मे से एक है, जो कर्नाटक राज्य में स्थित है। यह शहर अपने स्वर्णिम युग 1399 से 1947 तक मैसूर साम्राज्य का हिस्सा था। मैसूर का इतिहास और संस्कृति समृद्ध रहे है। मैसूर शहर का आकर्षण इसके महल, मकबरे, झील और सुन्दर बगीचे हैं। मैसूर शहर की भव्यता लाखों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। यहाँ के भोजनालयो मे स्वादिष्ट दक्षिण भारतीय खाने का मजा ले सकते है। पर्यटकों की ज़रूरत के हिसाब से यहाँ योग और कल्याण केंद्र भी हैं। पर्यटको को मैसूर अच्छे से घूमने के लिए तीन से चार दिन का समय लेना चाहिए।  

मैसूर मे वोडेयार शासकों का शासन 1399 से 1947 तक रहा था। 18वीं शताब्दी के अंत में टीपू सुल्तान ने यहाँ पर शासन किया था। शासक टीपू सुल्तान की मृत्यु के बाद अंग्रेजों का शासन हो गया था। आधुनिक समय के बावजूद शहर अपने अतीत को सजाये हुए है। 

मैसूर मे घूमने की प्रमुख स्थल

  • मैसूर पैलेस
  • टीपू सुल्तान समर पैलेस या जगनमोहन पैलेस
  • जयलक्ष्मी विलास
  • चामुंडेश्वरी मंदिर
  • फिलोमेना कैथेड्रल
  • श्रीरंगपट्टनम
  • सोमनाथपुर मंदिर
  • वृंदावन गार्डन
  • मैसूर चिड़ियाघर
  • रंगनाथिटु पक्षी अभयारण्य
  • त्रिनेस्वरास्वामी मंदिर
  • किष्किंधा मूलिका बोनसाई उद्यान
  • ललिता महल
  • मेलोडी वर्ल्ड वैक्स म्यूजियम
  • करंजी झील

ये शहर की कुछ मुख्य जगह है, जहाँ देशी और विदेशी पर्यटक घूमने जाते है।

सम्बंधित पोस्ट :- भारतीय सभ्यता और संस्कृति का इतिहास – History of Indian Civilization and Culture

1. मैसूर महाराजा पैलेस (अंबा विलास)

mysore palace - मैसूर पैलेस

मैसूर महाराजा पैलेस 

आज हम बात करेंगे एक ऐसे महल के बारे में जिसकी सुंदरता और कला आकृति को शब्दों में बया नहीं किया जा सकता। क्योंकि वास्तव में, महल का मात्र एक दर्शन आपकी मैसूर यात्रा को सफल बना देगा। शहर के मध्य में स्थित यह महल अपनी प्रतिष्ठित संरचना और आकर्सन ने दुनिया भर के लोगों को मंत्रमुग्ध कर देता है। और यहाँ हर साल 6 मिलियन से भी अधिक पर्यटक विजिट करते है। यह महल वोडियार राजवंश का शाही परिवार का निवास हुआ करता था और यह महल अपने इंडो-सारसेनिक वास्तुशिल्प डिजाइन के लिए जाना जाता है। इस महल पर आपकी नजर पड़ते ही आप आप आश्चर्यचकित रह जाएंगे, शाब्दिक और आलंकारिक का ऐसा नजारा है ये महल। इसकी शोभा! ऊंचे स्तंभों पर जटिल प्राचीन डिजाइनों से लेकर छत पर विस्तृत छत की कलाकृति तक, इस महल को आपकी आखे निहारती रह जाएगी। आप अपनी यात्रा कार्यक्रम को इस तरह बनाये कि आपसे मैसूर का इतिहास और कला संस्कृति को आप बेहतर ढंग से समझने और जान पाए।

मैसूर दशहरा महल में बड़े धूमधाम और हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है। वह स्वर्णमयी सिंहासन और राजघराने के शाही वस्त्र आभूषण जिन्हे आप इस अवसर के बहाने देख सकते है। आप इस अवसर पर महल का एक नजारा देखेंगे तो आप महल को पुरुषों और महिलाओं के से भरा हुआ पाओगे। और आप खुद को लोगों की भीड़ में खोया हुआ महसूस करोगे। इस अवसर पर आप महलो की भव्य सुन्दरता को देखकर आश्चर्यचकित रह जाएंगे, दशहरे के अवसर पर आपको इसकी यात्रा आवश्य करनी चहिये।

  • महल में प्रवेश का समय : प्रत्येक दिन सुबह 10 बजे से शाम 5.30 बजे तक  
  • ध्वनि और प्रकाश प्रोग्राम का समय:
    सोमवार से शनिवार, शाम 7 बजे से 7.45 बजे तक,
    रविवार और सार्वजनिक कार्यक्रमों की छुट्टी ,
  • रोशनी का समय:
    सभी सरकारी छुट्टियां और रविवार, शाम 7 बजे से 8 बजे तक,
    साउंड एंड लाइट शो के अंत में 15 मिनट के लिए, हर दिन
    दशहरा के दौरान सभी दस दिन
  • मैसूर पैलेस प्रवेश शुल्क:
    • वयस्क (भारतीय/विदेशी नागरिक) – ₹ 100 प्रति व्यक्ति
    • बच्चे (10 वर्ष से कम) – निःशुल्क
    • बच्चे (10 से 18 वर्ष के बीच) – ₹ 50 प्रति व्यक्ति
    • शैक्षिक भ्रमण (छात्र)- ₹10 प्रति व्यक्ति
  • ध्वनि एवं प्रकाश शो प्रवेश शुल्क:
    • वयस्क – ₹ 120 प्रति व्यक्ति
    • बच्चे (10 वर्ष से कम) – ₹ 50 प्रति व्यक्ति

2. जगनमोहन पैलेस

जगनमोहन पैलेस ,मैसूर (Jaganmohan Palace )

जगनमोहन पैलेस 

जगनमोहन पैलेस मैसूर की खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक है जो आपने वर्चस्व बराबर बनाये रखा है। और यह महल मैसूर में स्थित सात महलो में से एक है। 19 वीं सदी का यह हिंदू शैली का महल तब बनाया गया था जब एक हादसे से आग लगने से पुराना मैसूर महल नष्ट हो गया था और नए महल के निर्माण के समय यह शाही परिवार इसी महल में निवास करता था। इस महल में एक आर्ट गैलरी और पारंपरिक नृत्यों और अन्य कार्यक्रमों के लिए एक सभागार है। लकड़ी पर दशावतार (विष्णु के दस अवतार) की अलंकृत नक्काशी इस वास्तुशिल्प प्रतिभा की सबसे प्रमुख विशेषताओं में से एक है। महल में स्थित आर्ट गैलरी में दक्षिण भारतीय कलाकृतियों का एक शानदार संग्रह भी है, जिसमें राजा रवि वर्मा की कुछ प्रसिद्ध पेंटिंग भी शामिल हैं।

  • समय:  सप्ताह के सभी दिन, सुबह 8.30 बजे से शाम 5.30 बजे तक
  • प्रवेश शुल्क:
    • वयस्क – ₹ 20 प्रति व्यक्ति
    • बच्चे (5 से 10 वर्ष) – ₹ 10 प्रति व्यक्ति

3. जयलक्ष्मी विलास

जयलक्ष्मी विलास, मैसूर  (Jayalakshimi Vilas)

जयलक्ष्मी विलास

जयलक्ष्मी विलास 1905 में महाराजा चामराजा वोडेयार ने अपनी पुत्री जयलक्ष्मी अम्मानी के लिए बनवाया था। और तभी से इसका नाम राजकुमारी के नाम पर रखा गया। आज भी यह इमारत एक लोकगीत संग्रहालय है तथा वहां सभी 6500+ दुर्लभ कलाकृतियों का सग्रह है। यदि आप इस महल की इन कलाकृतियों को देखेंगे तो निश्चित रूप से मंत्रमुग्ध हो जायेगे। कुछ प्रदर्शनों में लकड़ी की कठपुतलियाँ, पत्थर की मूर्तियाँ, 300 साल पुरानी मंदिर और औपचारिक पोशाकें, आदि शामिल हैं।

  • समय:
    रविवार से शनिवार, सुबह 10.00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक, दोपहर 3:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक
    सोमवार को बंद
  • प्रवेश शुल्क:
    • वयस्क: ₹15 प्रति व्यक्ति
    • बच्चे: ₹ 5 प्रति व्यक्ति

4. चामुंडेश्वरी मंदिर

चामुंडेश्वरी मंदिर, मैसूर (Chamundeshwari Temple )

चामुंडेश्वरी मंदिर

भारत देश में पूजा स्थल किसी भी शहर के भूतकाल और वहाँ की शैली का वर्णन करता है। यह भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग होते हैं और यह बात मैसूर के चामुंडेश्वरी मंदिर के लिए भी सच है। चामुंडी मंदिर मैसूर की पहाड़ियों के ऊपर स्थित, यह दक्षिण भारत के सबसे प्रसिद्ध और बड़े मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण राजघराने द्वारा कराया गया था क्योकि राज परिवार की देवी, देवी दुर्गा यह मंदिर समर्पित है। यह मदिर द्रविड़ शैली में बना है और इसके प्रवेश द्वार पर एक अलंकृत सात-स्तरीय पिरामिडनुमा मीनार स्थित है। मंदिर तक पहुंचने के दो रास्ते हैं – पहाड़ी पर गाड़ी चलाकर या 1,000 सीढ़ियाँ चढ़कर। यदि आप सीढ़ियों से जायेगे तो आप को दोनों ओर बंदरों की सेना मिलेगी, शहर के कई प्रतिष्ठित स्थल जैसे मैसूर पैलेस , ललिता महल पैलेस, कृष्ण राजा सागर और सेंट फिलोमेना चर्च को पहाड़ियों से देखा जा सकता है।

  • समय:  सप्ताह के सभी दिन, सुबह 7.30 बजे से दोपहर 2 बजे तक, दोपहर 3.30 बजे से शाम 6 बजे तक, और शाम 7.30 बजे से रात 9 बजे तक
  • प्रवेश शुल्क:
    • कोई प्रवेश शुल्क नहीं
    • विशेष दर्शन और सेवा शुल्क देय है

5. फिलोमेना कैथेड्रल

फिलोमेना कैथेड्रल, मैसूर (Philomena's Cathedral)

सेंट फिलोमेना कैथेड्रल

मैसूर शहर में एक प्रमुख इमारत भी है, जो की एक चर्च है, यह चर्च एकमात्र ब्रिटिश संरचना में बना हुआ है। इस चर्च का नाम सेंट फिलोमेना कैथेड्रल है। इस चर्च को एशिया के सबसे ऊंचे चर्चों की श्रेणि में रखा गया है। यह चर्च एक कैथोलिक संत सेंट फिलोमेना के सम्मान में बनाया गया था। इसलिए इसका नाम सेंट फिलोमेना कैथेड्रल चर्च रखा गया है। इस चर्च के निर्माण से पहले, यहाँ एक छोटा चर्च हुआ करता था, जिसे महाराजा मुम्मदी कृष्णराज वोडेयार ने यूरोपीय के लोगों की बढ़ती संख्या को देखकर यहाँ एक चर्च का निर्माण करवाया। जिसे कैथेड्रल नियो-गॉथिक शैली में बनाया गया था, जिसके दोनों ओर लुभावनी सुंदर जुड़वां मीनारें है, जो 175 फीट ऊंची है। बताया जाता है की इस चर्च के लिए महाराज ने विदेशो से भी कारीगर और अन्य मेटेरियल मगवाया था।

  • समय:  सप्ताह के सभी दिन, सुबह 5 बजे से शाम 6 बजे तक
  • प्रवेश शुल्क:  कोई प्रवेश शुल्क नहीं 

6. श्रीरंगपट्टनम

श्रीरंगपट्टनम मंदिर, मैसूर (Srirangapatna Temple)

श्रीरंगपट्टनम

यह मंदिर मैसूर शहर से 20 किलोमीटर दूर पर स्थित है। यह एक ऐसी ऐतिहासिक मंदिर है जो आज भी आपने महत्व बरकरार बनाये हुए है, हम बात कर रहे है, श्रीरंगपट्टनम की, जो अपनी ऐतिहासिक प्रासंगिकता और हिंदुस्तान की बेजोड़ कलाकृति के लिए जाना जाता है, और इस मंदिर ने अनेक राजाओं के उत्थान व पतन को देखा है। यह शहर हैदर अली और टीपू सुल्तान के समय में मैसूर की राजधानी हुआ करता था।

7. सोमनाथपुर मंदिर

सोमनाथपुर मंदिर, मैसूर (Somnatham mandir)

सोमनाथपुर मंदिर

क्या आप 13 वीं शताब्दी के किसी मंदिर की यात्रा करना चाहते हैं ? अपने यात्रा कार्यक्रम में सोमनाथपुर को शामिल करें। मैसूर शहर से लगभग 40 किमी दुरी पर स्थित, यह स्थान कावेरी नदी के तट पर स्थित चेन्नकेशवा मंदिर (जिसे केसवा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है) के लिए जाना जाता है। होयसला स्थापत्य शैली में बना यह अलंकृत मंदिर वास्तव में पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के लिए एक आकर्षण है।

जितना अधिक हम अपने अतीत के बारे में जानेंगे, उतना ही अधिक और बेहतर ढंग से हम अपने भविष्य के लिए तैयार हो सकेंगे। हम नहीं जानते कि ये कितना सच है, लेकिन हम एक बात निश्चित रूप से जानते हैं – इन स्थानों की एक दिन की यात्रा भी आपको मंत्रमुग्ध कर देगी और आपको समय में वापस ले जाएगी। उपर्युक्त स्थानों के अलावा, मैसूर में इतिहास प्रेमियों के लिए कई अन्य छिपे हुए रत्न हैं।

8. बृंदावन गार्डन

वृंदावन गार्डन, मैसूर

बृंदावन गार्डन

बृंदावन गार्डन दुनिया के सबसे लोकप्रिय और भव्य सीढ़ीदार उद्यानों में से एक है। मैसूर के KRS बांध परिसर क्षेत्र में निर्मित, उद्यान क्षेत्र 60 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। इस परिसर में तीन सीढ़ीदार उद्यान हैं जो शाम को अपनी शानदार रोशनी से आगंतुकों को आश्चर्यचकित कर देते हैं। यह क्षेत्र चार भागों में विभाजित है- मुख्य द्वार, उत्तरी बृंदावन, चिल्ड्रन गार्डन और दक्षिण बृंदावन। प्रत्येक क्षेत्र की अपनी अनूठी अपील होती है।

बगीचों का मुख्य आकर्षण संगीतमय फव्वारा शो, जिसमें पानी की फुहारों को मधुर संगीत और चमकदार रोशनी के साथ प्रस्तुत किया जाता है। वास्तव में अविस्मरणीय अनुभव के लिए आप नाव की सवारी का आनंद ले सकते हैं या फलों के बगीचों में टहल सकते हैं।

  • समय: प्रातः 8 बजे से लेकर रात्रि 9 बजे तक
  • म्यूजिकल फाउंटेन शो का समय:
    • सप्ताह के दिनों में – शाम 6:30 बजे और शाम 7:30 बजे
    • सप्ताहांत – रात्रि 8:30 बजे
  • प्रवेश शुल्क:
    • वयस्क – ₹ 15 प्रति व्यक्ति
    • बच्चे (5 से 10 वर्ष) – ₹ 5 प्रति व्यक्ति

9. मैसूर चिड़ियाघर

मैसूर चिड़ियाघर

मैसूर चिड़ियाघर निस्संदेह मैसूर में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक है । मैसूर पैलेस से सिर्फ 2 किमी दूर स्थित, चिड़ियाघर की स्थापना 1892 में चामराजेंद्र वाडियार बहादुर ने की थी। यह देश के सबसे पुराने प्राणी उद्यानों में से एक है। यदि आप पशु प्रेमी हैं या बच्चों के साथ मैसूर जा रहे हैं, तो 40 से अधिक देशों से लाए गए कुछ विदेशी जानवरों और पक्षियों की झलक देखने के लिए यह एक उत्कृष्ट जगह है।

स्थलीय पक्षियों से लेकर बड़े और छोटे बिल्ली के समान और प्राइमेट से लेकर सरीसृप तक, आप चिड़ियाघर में जीवों की 168 प्रजातियाँ पा सकते हैं। इसके अलावा, दुनिया का पहला सिजेरियन सेक्शन मैसूर चिड़ियाघर में एक हाथी पर किया गया था, जिससे इसकी प्रसिद्धि में चार चांद लग गए।

  • समय:
    • मंगलवार को सुबह 8:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक बंद रहता है
  • प्रवेश शुल्क:
    • वयस्क – ₹ 50 प्रति व्यक्ति (कार्यदिवस), ₹ 60 प्रति व्यक्ति (सप्ताहांत)
    • बच्चे (5 से 12 वर्ष) – ₹ 20 प्रति व्यक्ति (कार्यदिवस), ₹ 30 प्रति व्यक्ति (सप्ताहांत)

10. रंगनाथिटु पक्षी अभयारण्य

रंगनाथिटु पक्षी अभयारण्य, मैसूर

त्रिनेस्वरास्वामी मंदिर

त्रिनेस्वरास्वामी मंदिर मैसूर महल परिसर के भीतर मैसूर किले के सामने स्थित है। यह खूबसूरत मंदिर शानदार द्रविड़ शैली की वास्तुकला का प्रदर्षित करता है। यह तीन आंखों वाले भगवान शिव ( त्रिनेश्वर ) को समर्पित है। इस मंदिर का गोपुरम 18 वीं शताब्दी में नष्ट कर दिया गया था, बाद में मैसूर महाराजाओं द्वारा इसका जीर्णोद्धार कियाया गया और अब यह मंदिर भारत की सांस्कृतिक गौरव की विरासत को दर्शाता है। यह मंदिर मैसूर में स्थित सभी प्राचीन स्थानों में से एक है, यहाँ खासकर शिवरात्रि उत्सव के दौरान जब तीर्थयात्री विशेष प्रार्थना करने के लिए इकट्ठा होते हैं।

  • समय: प्रतिदिन सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक
  • प्रवेश शुल्क: कोई शुल्क नहीं है। 

12. किष्किंधा मूलिका बोनसाई उद्यान

किष्किंधा मूलिका बोनसाई उद्यान, मैसूर

किष्किंधा मूलिका बोनसाई गार्डन

यदि आप मन की शांति और अपनी इंद्रियों को शांत करना चाहते हैं, तो यह स्थान खास आप के लिए है। किष्किंधा मूलिका बोनसाई गार्डन की यात्रा एक अच्छा विचार है। श्री गणपति सच्चिदानंद स्वामीजी द्वारा स्थापित, इस उद्यान में 450 से अधिक विभिन्न प्रकार के बोन्साई पेड़ो की प्रजातियाँ यहाँ स्थित हैं। यह उद्यान 4 एकड़ भूमि में फैला हुआ है जिसमें एक छोटी सी जलधारा बहती है। आप पार्क के चारों ओर भगवान बुद्ध और बंदरों की राजसी मूर्तियाँ देखने को मिलेगी। 

हर साल दिसंबर में यहां एक बोन्साई सम्मेलन आयोजित किया जाता है, जो हर किसी को बोन्साई की कला के बारे में और अधिक जानने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करता है।

  • समय: सुबह 9:30 से दोपहर 12:30 बजे तक, और दोपहर 3:30 से शाम 5:30 बजे तक, बुधवार को बंद रहता है
  • प्रवेश शुल्क: ₹ 25 प्रति व्यक्ति

13. ललिता महल

ललिता महल (Lalita Mahal )

ललिता महल

मैसूर के पर्यटन स्थलों में ललिता महल अपनी एक खास जगह बनाये हुए है  चामुंडी पहाड़ियों की तलहटी में स्थित इस महल की कलाकृति प्रसंसनीय है, जिसे इतिहास प्रेमियों को नहीं भूलना चाहिए। तथा यह महल मैसूर का दूसरा सबसे बड़ा महल है। इसकी भव्य संरचना 1921 में बनाई गई थी, और ईडब्ल्यू फ्रिचली द्वारा डिजाइन की गई थी। कई लोग ललिता महल को लंदन के सेंट पॉल कैथेड्रल की प्रतिकृति मानते हैं। यह मूल रूप से भारत के वायसराय के लिए एक अतिथि गृह के रूप में काम करने के लिए बनाया गया था।

ललिता महल को 1974 में एक शानदार और शानदार हेरिटेज होटल में बदल दिया गया था। वर्तमान में, इसका रखरखाव भारत पर्यटन विकास निगम के तत्वावधान में अशोक ग्रुप ऑफ होटल्स द्वारा किया जाता है। ललिता महल की सुंदरता और मंत्रमुग्ध कर देने वाली वास्तुकला को निहारने और इसका आनंद उठाने पर्यटक भारी मात्रा में रोजाना यहां आते हैं।

  • समय: प्रतिदिन सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक
  • प्रवेश शुल्क: कोई शुल्क नहीं है। 

14. मेलोडी वर्ल्ड वैक्स म्यूजियम

मेलोडी वर्ल्ड वैक्स म्यूजियम, मैसूर

मेलोडी वर्ल्ड वैक्स म्यूजियम

मेलोडी वर्ल्ड वैक्स संग्रहालय देश सबसे बड़े संग्रालयो में से तीसरा नंबर पर आता है। मैसूर पैलेस से लगभग 3 किमी की दूरी पर स्थित यह संग्रहालय एक विरासत भवन के भीतर स्थित है और कर्नाटक में संगीत वाद्ययंत्रों के सबसे बड़े संग्रह के लिए लोकप्रिय है।

हालाँकि, संग्रहालय का मुख्य आकर्षण यहाँ बनी पारंपरिक पोशाक वाद्ययंत्र बजाने वाले संगीतकारों की 100 से भी अधिक मोम की मूर्तियाँ बनी हैं। इस संग्रहालय को 19 बड़े भागों में विभाजित किया गया है, प्रत्येक गैलरी में कुछ सबसे अविश्वसनीय और आकर्षक मूर्तियां स्थित हैं।

  • समय: प्रतिदिन सुबह 9:30 बजे से शाम 7:30 बजे तक
  • प्रवेश शुल्क:
    • वयस्क – ₹ 10 प्रति व्यक्ति
    • बच्चे (5 से 15 वर्ष) – ₹ 5 प्रति व्यक्ति
    • वरिष्ठ नागरिक – ₹ 5 प्रति व्यक्ति

15. करणजी झील

करंजी झील, मैसूर

करणजी झील

अगर आप हनीमून या पिकनिक मनाने मैसूर आ रहे है तो करणजी झील के शांत और मनमोहित वातावरण का लिफ्त उठाना मत भूल जाना क्योंकि इस झील के चारो तरफ हरे भरे पेड़ हैजो इसकी शोभा में चार चाँद लगा देता है। आगंतुकों को झील के किनारे खाद्य पदार्थ ले जाने और उनका आनंद लेने की अनुमति है। झील के आस-पास के क्षेत्र में पक्षियों की 147 तरह प्रजातियो का निवास है, जिनमें ग्रे पेलिकन, एशियाई ओपनबिल स्टॉर्क और बगुले शामिल हैं।

दो जल निकायों झरने के अलावा, आपको तितलियों की कुछ अनोखी प्रजातियां देखने को मिलेगी, साथ ही एक तितली पार्क भी मिलेगा। 

समय: सुबह 8:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक, मंगलवार को बंद रहता है

  • प्रवेश शुल्क: ₹ 30 प्रति व्यक्ति 

मैसूर घूमने का सबसे अच्छा समय (best time to visit mysore):-

मैसूर घूमने का सबसे अच्छा समय फरवरी से अगस्त के बीच का रहता है क्योंकि इन दिनों यहां का तापमान मीडियम रहता है। और यहां सबसे अधिक पर्यटक इसी समय आते है।

मैसूर की जलवायु उष्णकटिबंधीय सवाना होने के कारण और गर्म अर्ध-शुष्क जलवायु सीमा के निकट वर्ती इलाको में होने की वजह से यहां का मौसम मिडियम रहता है। यहां सर्दियों के मौसम में न्यूनतम तापमान लगभग 07.00 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है। 

नवंबर से फरवरी के बीच सर्दियाँ रहती है और मार्च से जून तक गर्मी व मौसम मीडियम रहता है, तथा जुलाई से अक्टूबर के बीच यहां मानसून रहते है। यहां का तापमान गर्मियों में लगभग 38.00  डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है।

मैसूर कैसे पहुंचे

फ्लाइट से कैसे पहुंचे

मैसूर का हवाई अड्डा बैंगलोर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। जो घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों से जुड़ा हुआ है। आपको भारत मे कही से भी बैंगलोर हवाई अड्डे के लिए फ्लाइट मिल जाएगी। फिर आप को 3 घण्टे की सड़क यात्रा करके यहाँ आना होगा।

ट्रेन से कैसे पहुंचे

मैसूर शहर मे एक रेलवे स्टेशन है। ज्यादातर पर्यटक ट्रेन से यहाँ की यात्रा करना पसंद करते हैं। क्योंकि रेल से सफर करना बजट अनुकूल और आरामदायक है। चेन्नई और बैंगलोर जैसे रेलवे स्टेशनों से आप यहाँ पहुँच सकते हैं।

सड़क मार्ग से कैसे पहुंचे

बैंगलोर से मैसूर शहर की दुरी 140 KM है। जो की 3 घंटे की दूरी पर है। पर्यटक चेन्नई से हाईवे NH48 के रास्ते से भी यहाँ पहुंच सकते हैं। कोचीन से यहाँ आने के लिए आप NH544 राजमार्ग का उपयोग कर सकते हैं।