रविंद्र सिंह भाटी: राजस्थान में भाजपा और कांग्रेस की बड़ी चुनौती 

रविंद्र सिंह भाटी

राजस्थान की राजनीती में ऐसे अनेक नेता हुए जिन्होंने पार्टी के दम पर लोकतंत्र में अपना लोहा मनवाया, लेकिन आज उनसे भी ऊपर एक ऐसा नेता भी है। जिसने बिना पार्टी के दम पर राजस्थान की राजनीती में भूचाल मचा दिया, जिसकी न कोई पार्टी और न कोई दल, हाँ! में बात कर रहा हूँ राजस्थान बाड़मेर जिले की शिव विधानसभा सीट से विधायक ‘रविंद्र सिंह भाटी’ की जिन्होंने केवल जनता के साथ और उसी के आशीर्वाद से बिना किसी पार्टी से निर्दलीय चुनाव जीता और बाड़मेर जिले की शिव विधानसभा सीट से विधायक बने। आज पुरे राजस्थान की राजनीती में बस एक ही नाम चल रहा है और वो है रविंद्र सिंह भाटी। 

रविंद्र सिंह भाटी का जीवन परिचय :-

आज के समय में राजस्थान में सबसे ज्यादा चर्चित युवा नेता श्री ‘रविंद्र सिंह भाटी’ का जन्म 3 दिसंबर 1997 को राजस्थान के बाड़मेर के दुधोड़ा नामक गांव के एक राजपूत परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम शैतान सिंह भाटी और माता का नाम अशोक कंवर है। भाटी सादी सुदा है इनकी पत्नी का नाम ‘धनिष्ठा कंवर’ है। रविंद्र सिंह के पिता एक स्कूल में अध्यापक हैं और उनकी माँ एक गृहिणी हैं।
शिक्षा की बात करे तो इन्होने स्नातक कॉलेज से एल एल बी करके रखी है। और ये वर्तमान समय में जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय में छात्र संघ अध्यक्ष है और बाड़मेर जिले की शिव विधानसभा सीट से विधायक भी है।

रविंद्र सिंह भाटी की शिक्षा:-

रविंद्र सिंह भाटी ने अपनी शुरूआती शिक्षा बाड़मेर के आदर्श विद्या मंदिर हरसानी एवं मयूर नोबल्स एकेडमी से पूर्ण की थी। भाटी ने अपनी आगे की पढ़ाई मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय से की और यहां से उन्होंने स्नातक की डिग्री प्राप्त की। बाद में इन्होने 2015 में राजस्थान की प्रसिद्ध विश्वविद्यालय जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय में एलएलबी की योग्यता प्राप्त की। रविंद्र सिंह शुरुआत से ही एक मेधावी छात्र रहे और राजनिति के साथ -साथ उन्होंने पढाई को भी प्राथमिकता दी।

रविंद्र सिंह भाटी के राजनीतिक जीवन की शुरुआत :-

रविंद्र सिंह भाटी राजनीती का सोक शुरू से ही था उन्होंने वर्ष 2019 में जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय में हुए छात्र संघ अध्यक्ष के चुनाव में 1294 वोटों के साथ ऐतिहासिक जीत हासिल की और यही से ही उनके राजनीती जीवन की शुआत हुई। आप को बता दे की विश्वविद्यालय में हुए चुनाव में भी रविंद्र सिंह भाटी निर्दलीय ही हिस्सा लिया था और छात्र संघ के अध्यक्ष बने। विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव से पहले भी रविंद्र सिंह छात्र हितों को लेकर लगातार आवाज उठाते थे। इसके आलावा छात्रों के हिट के लिए भाटी अनेक बार जेल भी गए और खुद को खतरे में भी डाला छात्रों के इसी विश्वास ने उन्हें विश्वविद्यालय का अध्यक्ष बनाया। वर्ष 2019 में जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय में छात्र संघ अध्यक्ष के चुनाव के लिए उम्मीदवार पद जारी हुए और रविंद्र सिंह को ABVP से टिकट नहीं मिला, और उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला लिया और निर्दलीय चुनाव लडा और 1294 वोटों के साथ ऐतिहासिक जीत हासिल की।

रविंद्र सिंह भाटी का छात्र संघ अध्यक्ष से MLA तक का सफर:-

जैसा की हम सभी जानते है राजस्थान की राजनीती में एक ही नाम चल रहा और वो है रविंद्र सिंह भाटी। छात्र संघ अध्यक्ष का चुनाव जितने के बाद भाटी ने सबसे पहले कॉलेज के मामलों को और छात्रों की समस्यो को समाप्त करना शुरू कर दिया और लोगो द्वारा कॉलेज की अधिक्रमण की गई जगहो के मामलो में कई बार सड़क पर धरना प्रदर्शन किया और कॉलेज की सारी जमीन वापस दिलवाई। और उनके इसी काम से लोग बहुत खुश हुए और भाटी के साथ आ गये। इसी कारण भाटी को लोगो का स्पोट मिलता गया और वे जनता की समस्याओ को समाप्त करने लगे। राजस्थान के कॉलेज यूनिवर्सिटी में हो रहे तानाशाह प्रशासन, भ्रष्टाचार, एवं फीस में राहत पाने को लेकर भी यह काफी बार चर्चा मे रहे है। यही कारण है कि रविद्र सिंह की छात्रों के बीच और लोगो से काफी अच्छी पहचान बनी। और जब भाटी पहली बार छात्रसंग चुनाव लड़ रहे थे तब भाटी का एक वीडियो वायरल हुआ। और वो चर्चा में हो गए। 

विधानसभा चुनाव :-

विधानसभा के चुनाव लड़ने से पहले वही रविंद्र सिंह का कहना था की शिव विधानसभा क्षेत्र के लोग आज भी अनेक सुविधाओं से वंचित है, जैसे की रोजगार, बेहतर शिक्षा और भी कई अनेक सारी समस्याएं शामिल है। इन सबको देखते हुए रविंद्र सिंह ने छात्र संघ अध्यक्ष से विधानसभा का चुनाव लड़ने का फैसला किया। सबसे पहले रविन्द्र सिंह भाटी ने भारतीय जनता पार्टी से टिकट मांगा परन्तु पार्टी वालो ने उन्हें टिकट न देकर स्वरूप सिंह खारा को दे दिया। टिकट न मिलने पर रविंद्र सिंह भाटी का पार्टी से मोह भंग हो गया और उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया। और जिस प्रकार रविंद्र सिंह ने छात्र संघ अध्यक्ष का चुनाव की तैयारी की थी उसी तरह विधानसभा के चुनाव की भी तैयारी की और 3 दिसम्बर 2023 को राजस्थान विधानसभा चुनाव के परिणाम आये, जिसमें निर्दलीय प्रत्याक्षी रविन्द्र सिंह भाटी ने 3950 मतों से जीत हासिल की। और बाड़मेर जिले की शिव विधानसभा के विधायक बने। 

विधानसभा का चुनाव जीतने के बाद से ही रविंद्र सिंह भाटी ने लोकसभा चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है, और उन्होंने इस चुनाव को भी निर्दलीय लड़ने का फैसला लिया है। और उनके इस फैसले से भाजपा की टेंशन और बढ़ गयी है। बाड़मेर-जैसलमेर की लोकसभा सीट से भाटी निर्दलीय रूप से चुनावी मैदान में उतरने वाले है। आपको बता दे की रविंद्र सिंह राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों में से सबसे हॉट सीट पर गिने जाते है। रविंद्र सिंह भाटी अब नेताओ में शामिल है जो देश में सर्वाधिक लोकप्रिय है। क्या अब यह मोदी की लहर रविंद्र सिंह को चुनाव जीतने से रोक पायेगी। 

रविंद्र सिंह भाटी के चुनावी मुद्दे :-

जब भाटी शुरुआत में चुनावी मैदान में उतरे तभी उन्होंने कहा था। की इस बार बाड़मेर जैसलमेर विधानसभा का चुनाव राष्ट्रीय मुद्दों पर नहीं, बल्कि स्थानीय लोगो की समस्याओ पर लड़ा जायेगा। भाटी ने कहा की हर बार नेता आते हैं, और वोट मांगते है और जीतकर चले जाते हैं। लेकिन इस बार वोट मांगने नेता नहीं बल्कि बेटा आया है। उन्होंने कहा की, ‘आजादी के बाद से अब तक सीमावर्ती इलाके में विकास का सूरज नहीं उगा है। भाटी ने अपने ऊपर लगे आरोपों को लेकर कहा कि कांग्रेस और भाजपा दोनो ही मेरे खिलाफ चुनाव लड़ रही है, लेकिन यह तो बाड़मेर की जनता तय करेगी कि मेरे ऊपर लगे आरोप सही हैं या गलत। 

आप को बता दे की रविंद्र सिंह भाटी एक राजपूत परिवार से है और जैसलमेर-बाड़मेर विधनसभा क्षेत्र में लगभग 3 लाख 70 हजार राजपूत वोट है जो इस विधानसभा क्षेत्र की कुल जनसख्या का लगभग 19.14% बनता है।  

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