क्या है इसरो की नई पहल – गगनयान मिशन?

राष्ट्रीय विकास में इसरो की नई पहल जानें गगनयान मिशन के बारे में - ISRO's new initiative - Gaganyaan mission

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की स्थापना डॉ. विक्रम साराभाई ने 15 अगस्त 1969 में की थीं। ड्रॉ साराभाई को इसरो का जनक कहां जाता है। इसरो की स्थापना करना उनके जीवन काल की सबसे बड़ी उपलब्धि थीं। जो उन्होंने हासिल की। इसरो का मुख्यालय बेंगलुरु में स्थित है। जिसका कार्य ग्रहों को खोजना, सेटेलाइट लॉन्च करना, राष्ट्रीयता के विकास के लिए प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना है। चंद्रयान और मंगलयान मिशन में उपलब्धियां हासिल करने के बाद इसरो ”गगनयान मिशन” के तहत अंतरिक्ष में मानवयुक्त यान भेजकर अंतरिक्ष में उपलब्धि पाना चाहता है। राष्ट्रीयता के विकास में उठाया जानें वाला ये एक महत्त्वपूर्ण कदम है। 2021 का साल भारत के लिऐ गर्व करने से कम नहीं होगा। जब भारत की गिनती भी उन महान चार देशों में होगी। जिन्होंने इस कार्यक्रम को सफलताूर्वक अंजाम दिया है।

क्या है ये 2021 का गगनयान मिशन जानें।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मिशन की घोषणा 15 अगस्त 2018 को लाल किले से की थीं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अंतरिक्ष में पहला मानव यान भेजने की तैयारी कर रहा है। इस मिशन को पूरा करने के लिए तीन चरण रखें गए हैं। प्रथम चरण दिसंबर 2020, द्वितीय चरण जून – जुलाई 2021, तृतीय चरण दिसंबर 2021,  प्रथम दोनों चरणो में मानव रहित यान अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। मानव रहित मिशन के तहत क्रू मॉड्यूल के रोबोट हाफ ह्यूमोनाइड को पृथ्वी से 400km की दूरी पर पृथ्वी की निम्न कक्ष में भेजा जाएगा। इस मिशन के सफल होने के बाद गगनयान मिशन का तीसरा चरण भी पूरा कर लिया जाएगा। पहली बार तीन लोगों को सात दिन के इस मिशन में भेजा जाएगा।

जानें गगनयान की खासियत ।

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड कंपनी द्वारा इस यान को तैयार किया गया है। जिसे ऑर्बिटल विहिकल भी कहा जाता है। अंतरिक्ष में उड़ान भरने के लिए इस यान को तैयार किया गया है। जिसका वज़न 3.7 टन है। जिसकी क्षमता तीन लोगों को अंतरिक्ष तक लें जानें की है। क्रु मॉड्यूल और सर्विस मॉड्यूल से इस अंतरिक्ष यान को तैयार किया गया है। क्रु मॉड्यूल को अंतरिक्ष में मानव लें जानें के लिए किया गया है। जबकि सर्विस मॉड्यूल अंतरिक्ष में अपनी सेवा देने के लिए तैयार किया गया है। क्रु मॉड्यूल ने अपनी पहली उड़ान 18 सितंबर 2014 में भरी थी। अब इस यान को गगनयान मिशन के लिए जीएसएलवी मार्क-3 हरिकोटा से  प्रक्षेपण किया जाएगा। प्रक्षेपण करने के 16 मिनट के बाद यह यान अंतरिक्ष के निम्न कक्ष में पहुंच कर पृथ्वी की परिक्रमा करेगा।

 रोबोट हाफ ह्यूमोनाइड को अंतरिक्ष में क्यों भेजा जाएगा।

ह्यूमोनाइड को व्योम मित्र नाम दिया है। ये महिला रॉबर्ट है। इस महिला रॉबर्ट का पूरा शरीर न बनाकर इसे केवल धड़ तक बनाया गया है। इसरो के वैज्ञानिक सैम दयाल का कहना है कि इसकी कार्यप्रणाली मानव से मिलती जुलती रखीं गई है। इसलिए इसे इस मिशन का हिस्सा बनाया गया है। अंतरिक्ष में होने वाली हलचलों की जानकारी देने के लिऐ इसे हर तरीक़े से सक्षम बनाया गया है। इसका उद्देश्य निरंतर अंतरिक्ष मानव उपस्थिति का पता करना है। यान की कार्यप्रणाली पर ध्यान देना है। इससे पहले भी कहीं स्पेस एजेंसियां ने अपने रॉबर्ट अंतरिक्ष में भेजे है। अमेरिका की स्पेस अजेंसी NASA ने 2011 सर्व्रथम अपना रोबोनोट भेजा था। जापान की स्पेस एजेंसी JAXA ने 2013 में अपना किरोबो को international space station भेजा था। रूस की स्पेस एजेंसी रॉस्कोमॉस ने 2019 में फेडोर को international space station मैं भेजा था।

प्रशिक्षण के लिऐ पायलटों को भेजा जाएगा रूस।

गगनयान मिशन के लिऐ 6 सितंबर को चार पायलटों का चयन कर लिया गया है। बदले मौसम में किस प्रकार काम किया जाएं। इसका प्रशिक्षण देने के लिए पायलटों को रूस भेजा गया है। गैगरीन रिसर्च एंड टेस्ट कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर (GCTC) और भारत की स्पेस एजेंसी के बीच 2 जुलाई पर इस बात के लिऐ समझोता हुआ था। भारत के चारो पायलट गैगरीन रिसर्च एंड टेस्ट कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर (GCTC) से प्रशिक्षण ले रहें है। प्रशिक्षण में पायलटों का फिजिकल टेस्ट, बायोमेडिकल, अंतरिक्ष लें जाया गया यान सोयुज का अध्ययन करवाया जाएगा। और विशेष यान इल्यूशिन-76 एडीके में भारहीनता मोड से अवगत करवाना भी है। ताकि मिशन को पूरा कर लिया जाएं। 

गगनयान मिशन की क्या है बड़े उद्देश्य।

इसरो की स्पेस एजेंसी अपना स्वदेशी यान को अंतरिक्ष के निम्न कक्ष में भेजने की तैयारी में लगा हुआ है। सात दिन के इस मानवयुक्त मिशन के तहत तीन पायलटों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।  इस मिशन को मुकाम तक पहुंचाने के लिए डीआरडीओ और इसरो दोनों मिलकर काम कर रहीं है। इसरो के प्रमुख के सिवन कहते है की आज की युवा पीढ़ी की आवश्यकता है ये मिशन। वैज्ञानिक खोज, तकनीकी विकास, युवाओं को प्रोत्साहन देना। इस मिशन का उद्देश्य है।

 गगनयान मिशन के लिए बजट।

इस मिशन में 10 हज़ार करोड़ से अधिक खर्च आएगा। जिसकी मंजूरी कैबिनेट दी है।

इसरो की महत्वपूर्ण उपलब्धियां।

इसरो ने 51 साल के इस सफ़र में कहीं उपलब्धियां हासिल की है।

  • 19 अप्रैल 1975 में प्रथम उपग्रह आर्यभट्ट लॉन्च किया।
  • 1983 में इसरो ने अपने  सेटेलाइट लॉन्च किए।
  • 22 अक्टूबर 2008 को चांद पर ” चंद्रयान” भेजकर अपना इतिहास रचा।
  • 2014 में मंगलग्रह में सफतापूर्वक अपना “मंगलयान”भेजा।
  • 2017 में अब तक का सबसे भारी स्वदेशी रॉकेट जीएसएलवी मार्क-3 लॉन्च किया।
  • 2017 में पीएसएलवी के ज़रिए एक साथ 104 सेटेलाइट लॉन्च करके वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया।

पहली बार हवाई यात्रा कर रहे है तो यहाँ देखे हवाई यात्रा के नियम

Exit mobile version